नई दिल्ली: इस बात को सभी जानते हैं कि अमिताभ बच्चन एक समय कर्ज में बेतहाशा डूबे हुए थे। उन्होंने ए.बी.सी.एल. के नाम से कम्पनी शुरू की थी जो घाटे में जा रही थी। यह मुश्किल दौर 90 के दशक के शुरूआती सालों में लोन लेने से शुरू हुआ था जिसे बच्चन का पीछा साल 2003 में जाकर छूटा था।
इस दौरान न सिर्फ उन पर कर्जदारों ने केस ठोके बल्कि टैक्स अथारिटीज ने भी नोटिस भेजे। क्या कुछ हुआ था तब, इस बात का खुलासा अखबार ने किया है। अमिताभ का मामला इसलिए भी मौजू हो गया है क्योंकि पनामा पेपर लीक्स में विदेश में कम्पनी खोलने वालों में अमिताभ का भी नाम शामिल है, हालांकि अमिताभ ने इसका खंडन किया है।
मुश्किल दौर की शुरूआत
घाटे में चल रही अपनी कम्पनी ए.बी.सी.एल. के लिए अमिताभ ने 1993 में बिजनैसमैन छोटूभाई केशवभाई पीठावाला (स्वर्गीय) से 5.65 मिलियन डॉलर का कर्ज लिया था। पूरी रकम 16 में लौटाने का वायदा किया मगर ए.बी.सी.एल. डूब गई। 1 में पीठावाला से प्रॉमिसरी नोट वापस मांगा, फिर पीठावाला ने 2 केस ठोके। पहला 2000 में जिसमें बच्चन से मिलियन डॉलर मांगे गए, दूसरा धोखाधड़ी केस।
पेंच यहां पर है
पीठावाला की कम्पनी में जो पैसा ट्रांसफर हुआ था वह मारिशस की कम्पनी पी.बी.एल. मारिशस लिमिटेड ने ट्रांसफर किया था। यह कम्पनी आस्ट्रेलिया के अरबपति जेम्स पैकर की है। ट्रांसफर किया पैसा बी.एस. एल. को मुम्बई की कम्पनी लहरी प्रोडक्शंस प्रा.लि. ने भेजा थे। लहरी प्रोडक्शंस का टर्न-ओवर कुछ लाख में ही था? उसके पास इतना पैसा कहां से आया? इंकम टैक्स सूत्रों के मुताबिक, पैसा सुब्रत राय की कम्पनी सहारा इंडिया मीडिया कम्युनिकेशंस लि. से आया था।
खास मुलाकात
मुकदमे दायर होने के बीच की अवधि में एक दिन 11 जुलाई 2001 को पीठावाला अमिताभ के मुम्बई स्थित घर पहुंचे। मुलाकात में बच्चन के भाई और एच. नागेश्वरन नाम का एक शख्स भी था। मीटिंग में यह बात हुई कि पीठावाला को किस तरह से रकम लौटाई जाएगी लेकिन पीठावाला ने ये बातें रिकार्ड कीं और आगे चलकर क्रिमिनल केस दाखिल कर दिया। डील के बाद भी पीठावाला ने 2002 में फर्जीवाड़े का केस क्यों दाखिल किया, यह पता नहीं लग पाया।
मदद के बदले मदद
सहारा के अमिताभ से रिश्ते पहले भी जाहिर थे। उस साल सहारा की वाॢषक रिपोर्ट में भी लिखा गया था कि 60 करोड़ रुपए में थिएटर राइट्स खरीदे गए। समझा जाता है कि यह एक्टर अमिताभ थे। माना गया कि लहरी का इस्तेमाल करके सहारा ने अमिताभ का कर्ज चुकाया था। फिर अमिताभ और उनकी पत्नी जया ने सहारा की नॉन बैंकिंग फाइनैंस स्कीम का प्रचार किया। इन्हीं स्कीमों के जरिए सहारा ने गैर कानूनी ढंग से छोटे निवेशकों के 27,000 करोड़ रुपए इधर-उधर किए।
टैक्स अफसर चुप
इस पूरे मामले की भनक इंकम टैक्स विभाग को लग चुकी थी, मगर कोर्ट के आदेश के बावजूद जांच रुकी रही। यही नहीं, 22 दिसम्बर 2009 को तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को अमिताभ ने चि_ी लिखकर कहा कि मुझे इंकम टैक्स विभाग का नोटिस मिला है। मुझ पर संदेह किया जा रहा है जो कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं संबंधित केस में पूरी तरह निर्दोष हूं। मेरा हैरासमैंट न किया जाए। इंकम टैक्स विभाग ने तमाम सबूत होने के बावजूद अमिताभ के खिलाफ टैक्स चोरी के केस दी जांच धीमी कर दी।
लोन की अदायगी
पीठावाली की कम्पनी पैटाकॉम इंटरनैशनल इंजीनियरिंग ए.जी. के लंदन स्थित बैंक खाते में 26 मार्च 2003 को 4.65 मिलियन पाऊंड पहुंचे। कुछ दिन बाद 10 अप्रैल 2003 को 1.4 मिलियन पाऊंड भी ट्रांसफर हुए। यह कुल रकम 9.6 मिलियन डॉलर थी, यानी ठीक उतनी रकम जितनी कि अमिताभ को पीठावाला को देनी थी। इसके बाद पीठावाला ने अमिताभ पर दाखिल केस 2003 में एक-एक करके वापस ले लिए। अदायगी के बाद 10 करोड़ का डिपॉजिट पीठावाला ने अमिताभ को लौटा दिया।